वॉटर अब्सॉर्पेशन टेस्ट ऑफ ब्रिक्स

 वाटर अब्सॉर्पेशन टेस्ट ऑफ ब्रिक्स

नमूना/सेम्पल

यह परीक्षण ईंटो की पानी सोखने की क्षमता को दर्शाता है यदि ईंटे अपने भार का 20%से अधिक पानी को सोखती तो ऐसी ईंटो का उपयोग नही करना चाहिए।

ईंट मकान बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मटेरियल है


सबसे पहले हम ईंटो के ढ़ेर मेसे 5 ईटो को टेस्ट के लिए ले लेंगे फिर सैम्पल की इंटो को वेन्टीलेटेड ओवन में 110 डिग्री सेल्सियस पर 24 घण्टो के लिए रखा जाता है 24 घण्टो बाद ईंटो को ओवन से निकाल कर ठंडा होने के लिए रखा जाता है जब ईंटे कमरे के तापमान बराबर आ जाये तो फिर इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीन पर एक एक कर के सारी सैम्पल ईंटो का वजन करेंगे और फिर प्रत्यक ईंट के वजन को लिख लेंगे।


दूसरी प्रक्रिया में हम अब इन ईंटो को एक पानी से भरे पात्र या टब में 24 घंटो के लिए रख देंगे फिर 24 घण्टे बाद इन ईंटो को निकाल कर सूखे कपड़े से पोंछ कर फिर से इनका वजन करेंगे और इस बार भी प्रत्येक ईंटो का वजन लिख लेंगे।


परीक्षण का परिणाम इस विधि से निकाले

  1. सुखी ईंटो के वजन को हम w1 मान लेंगे

  2. गीली ईंटो के वजन को हम w2 मान लेंगे


अब इस फॉर्मूले की मदद से हम ईंटो की पानी सोखने के प्रतिशत को प्राप्त करेंगे


W2-W1 / W1×100


पाँच ईंटो के प्रतिशत को जोड़कर एवरेज निकाल ने के बाद का प्रतिशत ही असल परिणाम होगा।


गीली ईंटो का वजन सुखी ईंटो के वजन का 20℅ प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिए याने की ईंटो की पानी सोखन की क्षमता उसके वजन का 20%से अधिक नही होना चाहिए। p.w.d के निर्देशों के अनुसार




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