घर का वास्तु

 घर का वास्तु

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर कैसे बनाना चाहिए

आइये में आज आपको बताता हूं कि कैसे आप अपने मकान को वास्तु के अनुसार बना के अपने जीवन में शुख सम्रद्धि, धन-धान्य,ऐशवर्य और वैभव प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही वास्तु दोष से भी बच सकते है। जानिए वास्तु के अनुसार आपका घर कैसा होना चाहिए इस लेख को पढ़ने के बाद आपको बोहत सारी जानकारियां मिलेंगी जो आपके लिए बहोत लाभदायक सिद्ध होगी।


मेन गेट

वास्तु के हिसाब से घर का मेन गेट उत्तर  दिशा की ओर होना चाहिए या फिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। आप इन दोनों दिशाओं मेसे कोई भी दिशा अपने घर के मेन गेट के लिए सलेक्ट कर सकते है।


हॉल या लिविंगरूम

घर मे लिविंगरूम उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और घर के प्रवेश द्वार के पास ही होना चाहिए क्योंकि ये जगह मेहमानों की आने जाने और बैठने के लिए होती है यहाँ पॉजिटिव एनर्जी मिलनी चाहिए ताकि मेहमानों को फ्रेशनेश (ताजगी) फील हो 



मंदिर

पूजा तो सभी लोग करते है और पूजा अर्चना करने से घर मे सुख समृद्धि बनी रहती है इसलिए घर में पूजा का एक अलग स्थान होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पूजा का स्थान उत्तर-पूर्व दिशा - ईशान कोण में होना चाहिए इस दिशा में देवताओं का वास होता है इसलिए यह दिशा पूजा के लिए शुभ मानी जाती है।



वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई घर

घरों में किचन का बोहत महत्वपूर्ण स्थान और भूमिका होती है इसलिए हमें अपने घर मे किचन की दिशा बिल्कुल सही चुननी चाहिए वास्तु शास्त्र के अक्रोडिंग घर मे किचन दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिये इसे आग्नेय कोण कहा जाता है यहाँ अग्नि का वास होता है यदि किसी कारण आप अपना किचन यहाँ नही बनवाना चाहते हैं तो आप अपने किचन को उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवा सकते है ये दिशा भी किचन के लिए शुभ होती है।


वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानघर किस दिशा

घर में बाथरूम पूर्व दिशा मे होना चाहिए पूर्व से सूर्योदय होता है सूर्य से हमे सूर्य की किरणें मिलती है जो हमारे शरीर के लिए बोहत अच्छी होती है 



वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय कहाँ होने चाहिए

वेसे तो इंडियन कल्चर के अनुसार पुराने जमाने में घर मे टॉयलेट को अशुभ माना जाता था सभी लोग बाहर ही शौच करने जाते थे लेकिन बदलतें समय के कारण अब टॉयलेट घरों में ही बनाए जाते है चाहे गाँव हो या फिर शहर वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में टॉयलेट शौचालय दक्षिण और नैरत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोने के बीच में बनाया जाना चाहिए। ध्यान रखें किचन के बाजू में टॉयलेट नही होना चाहिए।



बेडरूम

आप दुनिया में कही भी चले जायें लेकिन कुछ दिनों बाद आपको घर की यादें आने लगती है क्योंकि असली सुकून अपने घर में ही मिलता है हमारा घर हमारे लिए एक मंदिर की तरह ही होता है और घर में आप का बेडरूम सबसे आराम वाली जगह होती है घर का बेडरूम उत्तर-पश्चिम दिशा - इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। में होना चाहिए 




मास्टर-बेडरूम

मास्टर-बेडरूम घर का मास्टर-बेडरूम दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) दिशा में होना चाहिए इस दिशा मे आप घर के मेन मेम्बर का रूम भी बना सकते है मास्टर-बेडरूम घर के दक्षिण-पश्चिम के कोने मे होना चाहिये यहाँ ज्यादा खिड़की दरवाज़े या खुली जगह नहीं होनी चाहिये


स्टोररूम

घर में स्टोररूम का होना बहोत जरूरी है ताकि आप अनाज और बाकी काम की सामग्री स्टोर कर सके या फिर कुछ वेस्टेज सामान भी स्टोररूम में रख सकते हैं। स्टोररूम दक्षिण दिशा में होना चाहिए


अंडरग्राउंड पानी की टंकी बोरिंग

पानी की टंकी घर की बाउंड्री के अंदर बनाए तो ज्यादा बेहतर रहेगा पानी की टंकी या बोरिंग हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए


बालकनी

घर मे बालकनी शुद्ध हवा के लिए बनाई जाती है ताकि आप बालकनी में बैठ कर चाय पीने का आनंद ले सके बालकनी हमेशा उत्तर दिशा में होना चाहिए।


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दिशाओं के देवता

वेसे तो सारि दिशायें शुभ होती है लेकिन हर दिशा का अपना एक अलग महत्व होता है जैसे वायु तत्व, अग्नि तत्व, जल तत्व,आकाश तत्व हर दिशा का एक देवता होता है आकाश भी एक दिशा है इस के स्वामी ब्रह्मा जी है घर के रोशनदान छत और बीच की खुली जगह इसी दिशा से संबंधित है। उत्तर-पूर्व दिशा इसे ईशान कोण भी कहते है। इस दिशा मे भगवान शिव का अधिकार होता है इसलिए इस दिशा को सारी दिशाओं से अधिक शुभ माना जाता है इस दिशा का नाम भगवान शिव के नाम पर ही है ईशान पूर्व के इंद्र पश्चिम के वरुण  उत्तर के कुबेर दक्षिण के यम उत्तर-पूर्व के सोम  दक्षिण-पश्चिम के सूर्य पश्चिमोत्तर के वायु दक्षिण-पूर्व के अग्नि ये सभी देवता दिशाओं के स्वामी है। इन्हें दिगपाल भी कहा जाता है।

एक दिशा और है पाताल लोक की जिसके स्वमी शेषनाग जी है। जो भूमि से सम्बंधित देवता हैं।


दिशाओं के अनुसार घर का वास्तु


पूर्व दिशा -  पूर्व दिशा से सूर्य निकलता है इस दिशा से हमें पॉजिटिव ऊर्जा मिलती है और सूर्य की किरणें हमारे घर को ऊर्जा से भर देती है। घर का गेट और खिड़की इस दिशा में हो तो बहुत अच्छा होता है। 


पश्चिम दिशा - घर टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए।


उत्तर दिशा - इस दिशा में घर का मेन गेट होना चाहिए  खिड़की और दरवाजे की अधिक संख्या उत्तर दिशा में होने चाहिए। घर की बालकनी भी इसी दिशा में होना चाहिए। 


दक्षिण दिशा - दक्षिण दिशा में बंद कमरा होना चाहिए जिसमें घर की अलमारी और भारी सामान रखा जाता है दरवाजे एवं खिड़की यहाँ नही होनी चाहिए


उत्तर-पूर्व दिशा - इसे ईशान कोण भी कहते है इस दिशा में बोरिंग,पानी की टंकी अंडरग्राउंड और घर का मंदिर भी बना सकते है।


उत्तर-पश्चिम दिशा - इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम होना चाहिए। इस दिशा में वायु तत्व का वास होता है


दक्षिण-पूर्व दिशा - इसे घर का आग्नेय कोण भी कहते हैं। यह ‍अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में किचन होना चाहिए


दक्षिण-पश्चिम दिशा - इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में घर के मालिक का कमरा होना चाहिए लॉकर भी इसी स्थान पर होना चाहिए।



भारत मैं वास्तु शास्त्र का बहुत ज्यादा महत्व है भारतीय ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है ऐसा माना जाता है कि यदि घर वास्तु के अनुसार बनाया गया हो तो घर मे सुख संपत्ति ऐश्वर्य धन धान्य की कमी नहीं होती हैं वास्तु के अनुसार बनाए गए घर का वातावरण हमेशा अच्छा लगता है ऐसा कई लोगों का मानना है। प्राचीन काल से ही भारत में वास्तु को ध्यान में रखकर ही भवनों का निर्माण किया जाता था वास्तु शास्त्र के अनुसार घर मे कौनसी दिशा में क्या बनाया जाए उसकी जानकारी दी गई है नेचर ओर डिजाइन दोनों को एक साथ मिलाकर एक बेहतरीन निर्माण ही वास्तु शास्त्र है। दूसरे शब्दों में हम वास्तु शास्त्र को प्राचीन आर्किटेक्चर भी कह सकते यह एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला है जिसके द्वारा प्राचीन समय में भारतीय मंदिरों,शहरो, सड़को आदि का निर्माण किया जाता था यह वास्तव में वास्तु विज्ञान है जिसमें डिज़ाइन, लेआउट, प्लान,कंस्ट्रक्शन,एलिवेशन आदि शामिल हैं।


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