तराई
कॉन्क्रीट की तराई सीमेंट की हाइड्रेशन (hydration) क्रिया पूरा करने की विथि का दूसरा नाम है। सीमेंट की हाइड्रेशन क्रिया उचित मॉइस्चर ओर टेम्प्रेचर पर सम्भव है। इसलिए कॉन्क्रीट में उचित मॉइस्चर ओर टेम्प्रेचर बनाये रखना बहोत जरूरी है। तथा पानी का कॉन्क्रीट से बाहर निकलना व बाहर से अंदर जाना एवम टेम्प्रेचर पर एक स्पेसिफिक टाइम तक नियंत्रण रखना बोहत जरूरी है। यह प्रोसेस ही (curing) याने की तराई कहलाती है।
कंक्रीट की तराई
तराई जिसके द्वारा सीमेंट के निरंतर जलयोजन को बढ़ावा देने के लिए तैयार कंक्रीट सतहों पर नम स्थिति बनाए रखी जाती है। यदि उचित इलाज तराई नहीं कि जाति है, तो सीमेंट का पूर्ण जलयोजन नहीं होगा, जिसके परिणामस्वरूप कंक्रीट की अपर्याप्त ताकत होती है। तराई के कई तरीके हैं जैसे:
1. कंक्रीट कार्य की छायांकन
कंक्रीट को छायांकित करने का उद्देश्य सतह से पानी के वाष्पीकरण को रोकना है। यह कंक्रीट की सतहों को गर्मी, सीधी धूप आदि से बचाने में भी मदद करता है।
2. सरफेस को गनी बैग्स से कवर करना
इस विधि में, तराई की जाने वाली सतह को गीली बोरियों से ढक दिया जाता है, जिन्हें समय-समय पर गीला किया जाता है।
3. पानी का छिड़काव
इस विधि में बड़ी मात्रा में शुद्ध पानी की आवश्यकता होती है। कंक्रीट पर उपयुक्त अंतराल पर पानी का छिड़काव किया जाता है। और कॉन्क्रीट कि सतह को सूखने नहीं देना चाहिए।
तराई निर्माण कार्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि तराई से ही कॉन्क्रीट को अधिक मजबूती मिलती है यदि हम कॉन्क्रीट, चुनाई ,प्लास्टर कि तराई ठीक से नही करते है तो हमारी कॉन्क्रीट बहोत ही कमजोर रहेगी और जल्दी ही टूटने लगेगी यदि दीवार मे सही से तराई नही हुई तो दीवारों से ईटे गिरने लगेगी ओर यदि प्लास्ट पर तराई नही कि गई तो प्लास्टर झड़ने लगेगा और तराई कि कमी के कारण हमारी ईमारत कमजोर हो जाती है जो कि लंबे समय तक नहीं टिकटी है। तराई कंक्रीट को कंप्रेसिव स्ट्रैंथ प्रदान करती है और कंक्रीट की स्ट्रेंथ को बढ़ाने का कार्य करती है कंप्रेसिव स्ट्रैंथ याने की दबाव की शक्ति यानी के कंक्रीट की भार वहन क्षमता बढ़ाने का कार्य तराई करती है। जब हम सीमेंट में पानी मिलाते हैं तो उसमें हाइड्रेशन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है जो कि कॉंक्रीट को कठोरता प्रदान करता है हाइड्रेशन की क्रिया एक रासायनिक प्रक्रिया होती है सीमेंट एक मकड़ी का जाल बनाता है जिसे हम जैली भी कहते हैं और यह जैल कंक्रीट को बांधे रखने का कार्य करता है। और तराई इस प्रक्रिया को बनाए रखने का कार्य करती है इसलिए हम तराई करते हैं।
गर्मियों के दिनों में मकान की तराई कैसे करें
गर्मियों के दिनों में अगर आप मकान की छत की तराई करना चाहते है तो पूरे छत पर चारो तरफ से रेत ओर सीमेंट का कच्चा माल याने के रेत ज्यादा ओर सीमेंट कम मिलाकर बनवा ले और फिर छत के चारो तरफ माल से क्यारियां बना दे एवं बीच बीच में भी इसी प्रकार क्यारियां बना दे और उसे सूखने दें क्यारियां सूखने के बाद उनमे पानी भर दें 15 दिनों तक पानी भरा हुआ रहने दें और बीच बीच में पानी कम होने पर पानी को फिर से भर दे इससे पानी भी कम लगेगा और छत की तराई भी अच्छे से हो जाएगी। 15 दिनों बाद क्यारियों को हटा दीजिये ओर पानी को निकाल दें।
क्युरिंग कंपाउंड से तराई बिना पानी के तराई करे
क्युरिंग कंपाउंड यह एक यौगिक होता है यह लिक्विड तरल पदार्थ के रूप में होता है जिसे कॉन्क्रीट पर छिड़काव किया जाता है और उसपर प्लास्टिक की सीट बिछा दी जाती है यह कॉन्क्रीट में नमी को बनाये रखने का कार्य करता है और कॉन्क्रीट की क्षमता को भी वैसे ही बढ़ाता है जैसे तराई के बाद पानी बढ़ाता है। क्युरिंग कंपाउंड के छिड़काव के बाद पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसका उपयोग से तराई में लगने वाले पानी की बचत होती है। यह बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है। इसका उपयोग भी बोहत आसान है।
जुठ के बोरों को बिछाके तराई
गर्मियों के दिनों में नमी बनाए रखने के लिए छत पर जुठ के बोरों को बिछा कर दिन में 3 बार उन बोरों को गिला कर दे इससे उनमे नामी बनी रहेगी और तराई भी अच्छे से हो जाएगी तथा पानी की भी बचत होगी
जुठ के बोरो को कॉलम पर चारों तरफ़ अछे से बांध कर उन्हें दिन में 2 से 3 बार पानी से गिला करे इससे कॉलम की कॉन्क्रीट में नमी बनी रहेगी और तराई अच्छे से हो जाएगी। इस प्रकार जुठ के बोरों को किसी भी कॉन्क्रीट पर बिछा कर तराई कि जा सकती है इससे पानी की बचत भी होगी और तराई भी सही तरीके से हो जाएगी गर्मी के दिनों में इसी प्रकार तराई करना चाहिए।
तराई कितने दिनों तक करें
वैसे तो तराई 28 दिनों तक करना चाहिए क्योंकि 28 दिनों मे कॉन्क्रीट कि कंप्रेससीव स्त्रेंघट 99% पूरी हो जाति है। 14 दिनों मे कॉन्क्रीट कि कंप्रेससीव स्त्रेंघट 90% तक पूरी हो जाती है ओर 7 दिनों मे कॉन्क्रीट कि कंप्रेससीव स्त्रेंघट 65% पूरी हो जाती है इसलिए कॉन्क्रीट कि तराई पूरे 28 दिनों तक करना चाहिए ओर दीवारों कि चुनाई कि तराई 14 दिनों तक करना चाहिए ओर प्लास्ट कि तराई भी कम से कम 14 दिनों तक ही करे जिससे कि निर्माण कार्य को मजबूती मिल सके तराई दिन में तीन बार अवश्य करें।
कंक्रीट की तराई
वैसे कंक्रीट की तरई तो 28 दिनों तक की जानी चाहिए कंक्रीट के अंदर फूटींग,कॉलम कैप,कॉलम,प्लिंथ बीम,छत, रिटेनिंग वॉल और समस्त आर.सी.सी आती है । आर.सी.सी यानी ऐसी कंक्रीट जिसके अंदर रेनफोर्समेंट डाला हो रेनफोर्समेंट याने की लोहे की छड़ डली हो उस कंक्रीट को आरसीसी कहते हैं। परंतु निर्माण कार्य स्थल पर हम तराई के साथ-साथ निर्माण के कार्य भी आगे करते जाते हैं जैसे कि फूटिंग डालने के उपरांत उस पर कॉलम कैप खड़े करना कॉलम के के ऊपर प्लिंथ का निर्माण करना और साथ में उसकी तराई भी करते जाते हैं जिससे निर्माण कार्य में बाधा ना आए। परंतु 7 दिन तक तराई अनिवार्य रूप से करें उसके बाद ही आगे का निर्माण कार्य करें
छत की तराई कितने दिन तक करें
छत ढलाई के दूसरे दिन छत कि तराई करें एवं चारो तरफ से क्यारियां बनाकर क्यारियों के सुखने के बाद उनमे पानी को अच्छी तरह से भर देवे ओर रोज पानी कम होने पर उसमे पानी को भरते रहे ओर ऐसा 28 दिनों तक करे। छत ढलाई के 28 दिनों बाद क्यारियों को तोड़कर पानी को बाहर निकाल दें और छत को सुखने दे दो दिनों बाद यानी के की छत ढलाई के 30 दिन बाद जब छत पूरी तरह सूख जाए तो उसके बाद ही छत के नीचे लगी सेंटिंग, शटरिंग को निकाले इस प्रकार यह पूरी 30 दिन की प्रक्रिया है।लेकिन आउटर बीम कि सेंटिंग छत ढलाई के 2 दिनों बाद ही निकाल लें।ओर रोज 28 दिनों तक सभी छत कि बिमो कि भी तराई प्रतिदिन अवश्य करें।
कॉलम कि तराई
कॉलम कि तराई भी 28 दिनों तक ही करें कॉलम कि तराई करते समय ध्यान रखें कि कॉलम कि ढलाई के अगले दिन कॉलम कि तराई करें उसके बाद सभी कॉलमन्स मे जूठ के बोरियों को बांध कर रोज कॉलमन्स कि तराई करें। जूठ के बोरे बांधने से लंबे समय तक नमी बनी रहती है और कंक्रीट गीली रहती है काफी देर तक इस विधि से तराई बहुत अच्छी तरीके से हो जाती है। और दिन में कम से कम 3 बार तराई अवश्य करें
दीवार की तराई कितने दिन तक करे
मकान की दीवारों की तराई भी 14 दिनों तक करनी चाहिए ताकि दीवाल मजबूत बन सके आमतौर पर दीवाल की तराई 14 दिनों तक ही की जाती है और जहां पर कॉंक्रीट हो वहां की तराई 28 दिनों तक करना ठीक रहता है दीवार जब पूरी तरह सूख जाए उसके बाद ही प्लास्टर करना चाहिए प्लास्टर करने के पूर्व दीवाल को अच्छे से तराई करना बहुत जरूरी होता है परंतु ध्यान रहे की चुनाई यदि ए.ए.सी ब्लॉक से की गई है तो उन दीवारों में तराई नहीं की जाती है और तराई दिन में तीन बार कम से कम अवश्य करें
प्लास्टर की तराई कि तराई कितने दिन तक करनी चाहिए
इमारतों की प्लास्टर की तराई भी 14 दिनों तक करनी चाहिए जिससे कि प्लास्टर की पकड़ अच्छी हो और प्लास्टर मजबूत बन सके प्लास्टर के लिए तराई 14 दिन तक पर्याप्त होती है यदि आपके पास समय अधिक है तो आप 28 दिनों तक भी तराई कर सकते हैं। यदि प्लास्टर पर तराई ठीक से ना हो तो प्लास्टर जल्द ही कमजोर होकर दीवार से गिरने लगता है इसलिए दीवारों में प्लास्टर की तराई 14 दिनों तक अवश्य करें और प्लास्टर यदि कंक्रीट पर है तो उसकी भी तराई ही 14 दिनों तक अवश्य करनी चाहिए। तराई दिन में तीन बार अवश्य करें
पी.सी.सी बैस की तराई
कंस्ट्रक्शन के समय अक्स होता यह है कि हम कॉलम, बीम, छत ओर दीवारों की ही तराई पर ज्यादातर ध्यान देते हैं और बैस कॉन्क्रीट की तराई करना भूल जाते है। जिस कारण हमारे बेस की
कॉन्क्रीट कमजोर रह जाती है। ओर बाद में उसके कई नुकसान होते है। जब फूटींग के लिए गड्ढे खोदे जाते है और फिर उसमें पी.सी.सी की जाती है जिसे बेस कॉन्क्रीट कहते हैं। हमे इस बेस कॉन्क्रीट की भी तराई कम से कम 7 दिनों तक करनी चाहिए ताकि हमारी बेस कॉन्क्रीट मजबूत हो सके क्योंकि इसी बैस कॉन्क्रीट पर फूटींग डाली जाती है ओर इन्ही फूटींग पर कॉलम खड़े किए जाते है इसलिए इस बैस कॉन्क्रीट की तराई बहोत जरूरी होती है।
अपने इस ब्लॉग में मैंने तराई को साधारण भाषा में समझाने का प्रयास किया है यहां पर मैंने तराई कैसे की जाती है और तराई क्यों करना जरूरी है बस इन्हीं बिंदुओं पर बात की है और तराई के टेक्निकल सेक्शन के बारे में मैंने इसमें जानकारी नहीं दी क्योंकि वह एक अलग टेक्निकल सेक्शन है जैसे कि water-cement कंपाउंड आदि के बारे में जानकारी प्रदान नहीं की है क्योंकि यह एक अलग टेक्निकल सेक्शन है और वह सिविल इंजीनियर के लिए है। उसके बारे में मै आगे अपने सिविल इंजीनियरिंग के ब्लॉग में उसकी जानकारी दूंगा। आपको मेरा ब्लॉग कैसा लगा आप मुझे नीचे कमेंट सेक्शन में लिखकर बता सकते हैं और किसी भी प्रकार की सहायता के लिए आप मुझे मेरे इंस्टाग्राम पर भी मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
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